आइये आपको सैर कराते हैं पैन्ट हाउस की,जिसका मतलब है सायबान अर्थात छत पर बना हुआ घर ।छत पर बना घर हवादार और ऊर्जा से परिपूर्ण होता है।आपको सायबान से तो परिचित करा दिया , बंगलुरू दत्ता कानन वास्तुकारों व्दारा निर्मित सायबान को आलीशान तरीके से सजाया व संवारा गया है। फर्श से छत तक काँच की दीवार सा बना कर रोशनी एवं प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण किया गया है।यह घरआधुनिकता और लालित्य का एक प्रतीक है। यहॉ का पारंपरिक स्पर्श पुराने दिनों की याद दिलाता है। विलम्ब के बिना, चलो इस निवास के टूर शुरू करते हैं ।
सबसे पहले चलते हैं स्वागत कक्ष की ओर।इस में प्रवेश करते ही चारों ओर कलात्मकता के दर्शन होते हैं।सब वस्तुएँ सलीके से रखी गयी हैं।कमरे का फर्श प्रवेश व्दार से एक कक्ष की दूरी तक लकड़ी का बना है।आगे कक्ष में सफेद संगमरमर के फर्श सलटी रंग का कालीन खूबसूरत लग रहा है। दीवार पर लगा हरा ग्रेनाइट उस पर सफेद रंग स बनी प्राकृतिक कलाकारी एवं उस पर सफेद रंग की रस्सी से बने गोल घेरे स्वागत कक्ष में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। लम्बी एवं ऊँची काँच की दीवार, उस पर उसी आकार में पारदर्शक एवं चमकदार भूरे सलेटी रंग के पर्दों से सुसज्जित है।सोफा और लकड़ी को खूबसूरत आकार दे कर बनायी गयी कुर्सियाँ सलीकेवार लगी हुई हैं। केन्द्र में रखी ग्रेनाईट की बनी मेज पर पारदर्शक काँच लगा कर उसे आकर्षक रूप प्रदान किया गया है। वहीं सोफे और कुर्सी के बीच नवीन और सुन्दर आकार वाला लैम्प शेड रखा गया है।
अब देखते हैं बैठक कक्ष।करीने से लगे सफेद सोफे पर भूरे और सफेद रंग के कुशन सोफे पर बैठने को बाध्य करते हैं। सोफे के बगल वाली दीवार पर काँच की खिड़की है तथा उसके साथ ही ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गयी हैं।जिसमें केवल लकड़ी की पट्टियाँ लगाई गई है। नीचे वाली सीढ़ी की दीवार पर सूर्य का प्रस्तर चित्र लगाय गया है।बीच में काँच की गोल मेज पर छोटा फूलदान बहुत सुन्दर लग रहा है। सामने दोनो कोनो में एक समान लैम्प रखे हैं।सामने की दीवार पर लकड़ी की दिखावटी दीवार पर दूरदर्शन यंत्र लगा कर कक्ष का सौन्दर्य चार गुना अधिक बढ़ाया गया है।लकड़ी की दिखावटी दीवार के पीछे से झाँकती प्रकाश की किरणें दीवार और कक्ष के सौन्दर्य को और निखार रही हैं।
अब सैर करते हैं भोजन कक्ष की,यहाँ आठ कुर्सी वाली भोजन मेज है।भोजन कक्ष की दीवार पर दृष्टिपात करें,हल्के-गहरे सलेटी चित्तकबरे संगमरमर की यह दीवार स्वत: ही परिपूर्णता से ओतप्रोत है,साथ में बराबर से खड़ा काला लैम्प शेड भी सु्न्दरता में अपना योगदान दे रहा है। दीवार पर लगी भोजन परोसने की खि़ड़की सम्पूर्ण दीवार को शोभायमान कर रही है।कुुर्सियों के नीचे बिछा कालीन मोज़ैक व्दारा निर्मित है।छत पर सलेटी और हल्के पीले रंग का संयोजन कक्ष में बखूबी निखार ला रहा है।हल्के पीले भाग पर काले रंग का झूमर अपनी अलग आभा बिखेर रहा है।कक्ष को विभाजित करता उन्नत स्थान के ऊपरी भाग में भूरे मोज़ैक का इस्तेमाल किया गया है तथा नीचे जाली वाला भाग कक्ष को आलीशान बना रहा है।
अब चलते हैं ख्वाबगाह अर्थात शयनकक्ष ,शयनकक्ष में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है शय्या का परन्तु ऊचाँई पर बने कक्ष से नीचे का नज़ारा अत्यन्त रमणीक लगता है ।पहले कक्ष दिखाते हैं फिर नयनाभिराम नज़ारे के दर्शन कराते हैं। कक्ष में शय्या के पीछे दिखावटी लकड़ी की दीवार को इस तरह लगाया गया है कि रोशनी की व्यवस्था की जा सके। लक़ड़ी की दीवार से झाँकती रोशनी अपनी उपस्थिति का आभास देती है । शय्या के सिरहाने दोनो कोनों में मेज पर रखे एक समान लैम्प और दीवार के सहारे खड़ा लैम्प भी अपना प्रकाश फैलाने में सक्षम हैं।आमने सामने की दीवारों पर पारदर्शक काँच की बड़ी खिड़की हैं।जिससे आकाशीय रोशनी एवं नीचे फैले पसरे संसार की झिलमिलाती रोशनी का लुत्फ ले सकते हैं।
स्वागत कक्ष के एक ओर मयखाना दृष्टिगोचर हो रहा है जिसमें अंग्रजी के अक्षर एल के आकार की मेज है उसके आजु-बाजु पाँच कुर्सियाँ हैं। रोशनी के लिये धातु का झूमर लगाया गया है।पारदर्शक काँच से ऊँचाई का मजा भी ले सकते हैं।
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